कालिका प्रसाद सेमवाल    ‌‌  मानस सदन अपर बाजार       रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

💦किसी का जिया दुखाना नहीं है
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रहो तुम सुखी जिन्दगी भर प्रिये,
मैं हँसूगा कहीं भी तुम्हें जानकर।


दिया प्यार का अब जलाना नहीं है,
किसी को हँसाकर रूलाना नहीं है ,
विरह गीत गाकर भुलाना नहीं है ,
किसी का जिया अब दुखाना नहीं है,
मुझे फिर कभी , प्राण,आना नहीं है,
सही कह रहा हूँ बहाना  नहीं है,


तुम्हारी हँसी  जिन्दगी  भर रहे ,
मैं लिखूंगा इसे नित्य ‌ ही मानकर।


पर मुझे प्रेम पथ‌ का निभाना रहा,
प्रेम करके हिया का जलाना रहा ,
जल रहा है दिया अब बुझाना रहा,
प्राण , तेरे  बिना   यह जलाना रहा,
औ ,विरह के लिए गीत गाना रहा,
छोड़ तुमको, कहीं आज जाना  रहा,


मिलेगा विरह का गरल  यदि मुझे,
तो बढूँगा इसे भी सदा पान करके।


हाय , कैसे कहूं  आज रोना नहीं,
है, तुम्हारे बिना, प्राण सोना नहीं,
यदि सरल हो निठुर आज होना नहीं,
पर पलक को विवश हो भिगोना नहीं,
पीर कण कण जगी शेष कोना नहीं,
मैं विकल रो रहा आज, टोना नहीं,


कदम को उठाये बढ़ाते चलो‌ ,
मैं चलुँगा निरन्तर तुम्हें जानकर।।
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📚कालिका प्रसाद सेमवाल
   ‌‌  मानस सदन अपर बाजार
      रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
        पिनकोड 246171


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