आओ अपने अंक लगाऊं
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मन करता है गीत लिखूं मैं,
मन करता है प्रीति जताऊँ।
सन्ध्या की हर किरण दिवानी,
पंखुरियों की मांग सजाती।
खिलती वन वन सन्ध्या-रानी,
जीवन के मधु गीत सुनाती।
ऐसी मधुमय बेला रंगिनि,
आओ अपने अंक लगाऊँ।
उड़े विहंगम के स्वर मादक,
गगनाड्ग के छोर बिलाते।
सुमन दलों पर कर अठखेली,
मधुपरियों के शिशु अकुलाते।
मुझको दर्द बहुत है संगिनी,
कैसे तुझसे दर्द बताऊँ।
वह चन्दन की मंजुल डलिया,
रह रह कर याद बहुत है आती।
जिसकी छाया के नीचे बैठा,
रहता था मैं तुम शरमाती।
तुमसे प्यार लगन है मेरी,
कैसे तुमको आज भुलाऊँ।।
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कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड
पिनकोड 246171
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