कालिका प्रसाद सेमवाल मानस सदन अपर बाजार रूद्रप्रयाग उत्तराखंड

न आओ अकेली,न जाओ अकेली
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प्रणय की पुजारिन, निवेदन है तुमसे,
न आओ अकेली, न जाओ अकेली।


यहां तो गगन के सितारे न आते,
यहां सच अभागे दुलारे न आते,
यहां गीत के हर सपन है प्रिये,
जिन्दगी के सपन भी संवारे न जाते,
यहां विश्व छलना छलेगा, प्रिये,
हर कदम पर न रूठों , न जाओ प्रिये।


तुम्हारे मिलन के  सुहाने क्षण 
मुझे सदा याद आते रहोगे प्रिये।


अगम पथ मेरा, सुगम पथ तेरा
न छोड़ो सुहागिन ये जीवन अंधेरा,
सपन जा रहे हैं कि तुम जा रही हो,
बहुत दूर मंजिल कि जीवन सबेरा,
यहां जिन्दगी भी प्रिये, मौत होगी,
न छोड़ो विरह सिन्धु, तक पर सहेली।


किसे मैं रूलाऊं , किसे मैं हंसाऊं,
रहा दूर तुमसे, किसे मैं बताऊं।


अरी, जिन्दगी मैं तुम्हें आज छोड़ूं,
तुम्हीं अब बताओ कहां राह मोडू,
मुझे हर कदम पर अंधेरा है दिखता,
सुहागिन बताओ कहां नेह जोडू,
मुझे शून्य लगते दिशा के किनारे,
अभी शून्य मेरी हृदय की हबेली।


तुम्हे कह‌ रहा हूं , जरा पास आओ,
मिलन की लगन में प्रिये, मुस्कराओ।।
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  कालिका प्रसाद सेमवाल
मानस सदन अपर बाजार
रूद्रप्रयाग उत्तराखंड


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