कालिका प्रसाद सेमवाल    रूद्रप्रयाग  उत्तराखंड

अपने घर में प्रेम का दीप जलाएं
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  चलो, आज कुछ अच्छा
   काम कर लें।
    किसी की दुआ से
    अपनी झोली भर लें।


     चलो हम कल्पना करें
     यहां धरा पर ऐसी दुनिया हो
     जहां शांति के हो सागर
     और प्रेम के पहाड़ हो।


      हम बनायेंगे ऐसा घर
      जिसकी दीवारें बुद्धि की ईंटों से हो,
      विवेक के सीमेंट से
      प्रेम और त्याग की सुगंध घर में हो।


      मेरी लड़ाई किसी से नहीं,
      सिर्फ बुरे विचारों से है,
      भय मुक्त समाज हो
      मजहब ही जिनका इन्सानियत हो,


चलो हम  अपने घर में,
प्यार और त्याग से ऐसा बनाएं,
एक दूसरे का दर्द समझ पाएं,
अपने घर में प्रेम का दीप जलाएं।।
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  कालिका प्रसाद सेमवाल
   रूद्रप्रयाग  उत्तराखंड


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