कैलाश , दुबे ,

खो गई क्यों माँ की ममता ,


और पिता का प्यार भी खो गया ,


हाय रे हाय नसीब जाने कहाँ सो गया ,


पत्नि भी बैठी आस लेकर अभी तक ,


पूरा एक साल भी अब हो गया ,


विधि रचा स्वांग ये कैसा 19 में ,


पुलवामा में भारत माँ का सपूत शहीद हो गया ,


खनखनाती चूड़ियों की खनक अब बन्द है ,


माँग से सिंदूर हमेंशा  को धुल गया ,


क्षण भर में नम हुई कजरारी अँखियाँ ,


दो दिलों के बीच में लो काल बैरी हो गया ,


कैलाश , दुबे ,


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...