कैलाश , दुबे ,

देने दो गर दुश्मन भी दगा दे जाये ,


गले लगा लो फिर से गर पनाह में आ जाये ,


मत फेंको आस्तीन के साँप को भी बाहर ,


भले कितना जहर भी उगल जाये ,


कैलाश , दुबे ,


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