कौशल महंत"कौशल"

,      *जीवन दर्शन भाग !!३३!!*


★★★
माता समझाने लगी,
            सुने ध्यान से पुत्र।
सरल सहज पाने लगा,
            इस जीवन का सूत्र।
इस जीवन का सूत्र,
            जटिल है पालन करना।
पर जो करे प्रयास,
            सरल संचालन करना।
कह कौशल करजोरि,
            समय ही मार्ग दिखाता।
बरसाती निःस्वार्थ,
            छाँव आँचल से माता।
★★★
बाबू जी ने प्यार से,
            दिया सिखावन सीख।
जग मतलब तक चूसता,
            फिर फेंके ज्यों ईख।
फिर फेंके ज्यों ईख
            नहीं मतलब का होता।
जग में सदा बगास,
            पड़ा कूड़े में रोता।
कह कौशल करजोरि,
           करे जो मन पर काबू।
जग में करता नाम,
            उच्च पद का बन बाबू।।
★★★
धारण करता जा रहा,
             मात-पिता का त्राण।
जीवन में होने लगा,
            नव-युग का निर्माण।
नव-युग का निर्माण,
            उजाला भर जीवन में।
त्यागे सभी विकार,
            स्वतः ही अपने मन में।
कह कौशल करजोरि,
            सत्य का हो संचारण।
मानवता का भाव,
            हृदय जो करले धारण।।
★★★


कौशल महंत"कौशल"
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