कौशल महन्त"कौशल"
जीवन दर्शन भाग !!१७!!*
★★★
पलना में इठला रहा,
लगे बाल गोपाल।
डाल रहा मुस्कान से,
प्रेम पाश की जाल।
प्रेम पाश की जाल,
लगे ज्यों किल किलकारी।
प्रहसित प्रमुदित रूप,
बसे हैं दुनिया सारी।
कह कौशल करजोरि,
पुहुप सम लागे ललना।
है कुल का उजियार,
नयन का झूले पलना।।
★★★
टीका काजल का लगा,
माँ करती शृंगार।
पाकर नित संतान सुख,
करती बहुत दुलार।
करती बहुत दुलार,
नेह की लोरी गाती।
करवा कर स्तनपान,
अलौकिक सुख है पाती।
माँ का अतुलित प्रेम,
नहीं होता है फीका।
कलुषित नजर बचाव,
लगाती काजल टीका।।
★★★
काले कुंतल की कली,
कर कणकण करताल।
पैजनिया पग में बजे,
भल भावन भर भाल।
भल भावन भर भाल,
सुहाये सूरत भोली।
किलकारी की गूंज,
खुशी की भरती झोली।
कह कौशल करजोरि,
इसे माँ ही सम्हाले,
सबका ही मन भाय,
घुंघराले लट काले।।
★★★
कौशल महन्त"कौशल"
🙏🙏🌹
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