, कौशल महन्त"कौशल"
जीवन दर्शन भाग !!१९!!*
★★★
पूरी हो जब माँग तो,
पुलकित है मनबाग।
जब माँगा पाये नही,
करता भागम भाग।
करता भागम भाग,
उधम भी खूब मचाता।
जाता है जब रूठ,
मात को बहुत नचाता।
कह कौशल करजोरि,
आस सब रहे अधूरी।
नटखट का हर माँग,
नहीं हो जब तक पूरी।।
★★★
दादी दादा से करे,
अठखेली का खेल।
करता कभी लुका छुपी,
कभी बनाये रेल।
कभी बनाये रेल,
दौड़ते छुक-छुक करके।
करता कभी किलोल,
भाग अरु रुक-रुक करके
कह कौशल करजोरि,
बना वादी संवादी
अतुलित करें दुलार,
नित्य ही दादा दादी।।
★★★
सच्चा नित ही बोलता,
छोड़ कपट मन द्वेष।
खुशियाँ ही खुशियाँ लिये,
मन में अमिट अशेष।
मन में अमिट अशेष,
प्रेम का भरता सागर।
तुतले मीठे बोल,
हृदय को करे उजागर।
कह कौशल करजोरि,
भले है तन से कच्चा।
पर निश्छल मनभाव,
परम होता है सच्चा।।
★★★
कौशल महन्त"कौशल"
🙏🙏🌹
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