कवि ✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना मौलिक (स्वरचित)  नयी दिल्ली

🌷रचनाकार मंच🌷


विषय: स्वैच्छिक
दिनांक: १३.०२.२०१९
वार: गुरुवार
विधा: दोहा
जनरल: मात्रिक
शीर्षक: 🇮🇳प्रेमगीत मां भारती🇮🇳
लिखता   हूं   मनमीत   मैं , देता    हूं      संगीत। 
प्रेमगीत  मां    भारती , मधुर   सरस     नवनीत।।
हरित भरित कुसुमित धरा,हो सुरभित अभिराम।
उड़े   तिरंगा  व्योम  में , हो   विकास   अविराम।।
कण्ठहार जन मन वतन, जय भारत जय  हिन्द।
आयें  मिल  हम  साथ में , खिले वतन अरविन्द।।
महके  खुशबू  प्यार के , खुशियां कोकिल  गान।
चमन   वतन   गुलज़ार हो , बढ़े  राष्ट्र    सम्मान।। 
देश  बचे  तो    हम   बचें , करें   सुरक्षित   देश।
करें    प्यार   सेवा   वतन , दें   समरस    संदेश।। 
नैन  लड़ाऊं   देश   से ,  करूं   प्रेम    अठखेल।
सुखद मधुर अहसास नित ,वासन्तिक  घुलमेल।। 
राष्ट्र प्रेम  महफ़िल सजी , गुंजित  समरस गान ।
सजी सुभग मां भारती, पुलकित सुन  यशगान।।
वीर  धीर  उन्नत अभय ,जन  गण मन पा प्रीति।
लोकतंत्र   सुन्दर   सफल , भारत   मां  उद्गीति।।
करें   समर्पण   जिंदगी , हो   भारत  सुखधाम।
निभा साथ जन्मों तलक ,अमर प्रेम  अभिराम।।
देश प्रेम  निर्मल सरित , प्रमुदित  मन अवगाह।
रत निकुंज कवितावली,सफल राष्ट्र बस  चाह।। 
कवि ✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना मौलिक (स्वरचित) 
नयी दिल्ली


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