कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचनाः मौलिक (स्वरचित) नयी दिल्ली


शीर्षकः 🇮🇳चलें करें मतदान हम🇮🇳
मनचाही  खुशियों  भरा , खिले कुसुम मुस्कान।
महापर्व   जनतंत्र   यह , सभी   करें    मतदान।। 
मत  केवल  अधिकार  नहीं , देना  भी  कर्तव्य। 
करें    सबल  जनतंत्र  को , संविधान  ध्यातव्य।। 
देशभक्ति   पर्याय   यह , समझें  निज  मतदान।
निर्माता   सरकार   का , दें    अपना    अवदान।।
सोच समझ मतदान निज,प्रतिनिधि करें चुनाव।
अवसर निज अधिकार का ,बिना किसी दुर्भाव।।
धीर   वीर    प्रेमी   वतन ,  हो   उदार   इन्सान।
ध्येय प्रगति सह शीलता , प्रतिनिधि  हो  ईमान।।
जन मन गण  का  पर्व  यह , लोकतंत्र का धर्म।
पाँच   वर्ष  में   एक बार ,  अधिकारी  सत्कर्म।। 
क्षेत्र  जाति  भाषा  धरम , नहीं   बँटे   मतदान।
करे   समुन्नत  राष्ट्र  जो ,  अमन  चैन  दे मान।।
फँसें   नहीं   झाँसागिरी  , नेताओं   की  चाल।
दान विवेकी तुला मत , हो  जनता   खुशहाल।।
करें    हर्ष   उत्साह   से , नया   देश   निर्माण।
दें  मत  राष्ट्र  सुपात्र को , करें  प्रजा कल्याण ।। 
चलें   करें  मतदान  हम , है  निकुंज  आह्वान।
राष्ट्रधर्म   सम्मान   निज , प्रजा वतन भगवान।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नयी दिल्ली


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