कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नयी दिल्ली


शीर्षकः मचल रही मनमीत मैं


रिमझिम  रिमझिम   वारिशें , भींगी   भींगी  नैन।
मचल  रही   मनमीत   मैं, आलिंगन   निशि  रैन।।१।।
मंद मंद   शीतल   . पवन , हल्की   मीठी    धूप। 
लहराती   ये   वेणियाँ ,चन्द्रमुखी   प्रिय     रूप।।२।।
काया नव किसलय समा ,गाल बिम्ब सम लाल। 
नैन   नशीली   हिरण सी, मधुरिम  बोल  रसाल।।३।।
चली   मचलती   यौवना , मन्द   मंद    मुस्कान।
खनक   रही पायल सुभग ,नवयौवन अभिमान।।४।।
लहर   दुपट्टा  लालिमा , कजरी    नैन  विशाल।
पीन  पयोधर  तुंग सम , गजगामिनि     बेहाल।।५।।
उतावली साजन मिलन, चपल  प्रिया  रुख्सार।
छलकाती   नैनाश्रु  को , मनुहारी      अभिसार।।६।।
सजी  धजी  तन्वी  प्रिया , तनु  षोडश   शृङ्गार।
दौड़ी मृग सम रूपसी , मिलन  सजन दिलदार।।७।।
तन मन   शीतल  साजना, प्रेम सरित   रसधार।
मुख सरोज  स्मित अधर ,  बनी प्रीत   गलहार।।८।।
बनी सुभग वन  माधवी ,कोकिल प्रियतम गान।
मचल   रहा  अलिवृन्द मन ,गन्धमाद रतिभान।।९।।
सुरभित वासन्तिक कशिश,नँच निकुंज मनमोर।
अलंकार     रसमाधुरी ,   कविता रव  चितचोर।।१०।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक (स्वरचित)
नयी दिल्ली


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