दिनांक: २०.०२.२०२०
वार: गुरुवार
विधा: दोहा
छन्द: मात्रिक
विषय: मर्यादा
शीर्षक: जीओ मर्यादित विनत
झंझावातों से सजा , है जीवन संसार।
रखो धैर्य बन साहसी , आए प्रीत बहार।।१।।
सदा चलो तुम नेक पथ , रखो स्वयं विश्वास।
अंत मिलेगी सफलता , मधुरिम सच आभास।।२।।
आएंगी चोटें ज़ख़्म , टूटोगे सौ बार।
पर मानो न हार तुम , बनें रहो खुद्दार।।३।।
मर्यादा तोड़ो नहीं , जो जीवन आचार।
चलो सत्य परहित मना , राष्ट्र धर्म आधार।।४।।
वारिश होंगी लांछना , डगमग होंगे लक्ष्य।
दुख विषाद ढाए कहर , किन्तु सत्य संरक्ष्य।।५।।
राम राज्य परिकल्पना , सत्य न्याय सम्मान ।
त्याग शील गुण कर्म में , मर्यादा रख ध्यान।।६।।
शान्ति प्रेम सद्भावना ,मर्यादित अभिव्यक्ति।
हो समाज या राष्ट्र हित , बनती जीवन शक्ति।।७।।
जीओ मर्यादित विनत , रहो वतन के साथ।
करो समादर आपसी , सहयोगी हो हाथ।।८।।
मर्यादित हो आचरण , हो मर्यादा क्रान्ति।
आहत न पर भावना , मत फैलाएं भ्रान्ति।।९।।
बन निर्माणक राष्ट्र का,हों जन गण सुखधाम।
मर्यादित निरपेक्ष नर , हो पुरुषोत्तम राम।।१०।।
मर्यादित जीवन सफल , राम चरित सद्भाव।
जाति धर्म भाषा वतन , मत बांटो दे घाव।।११।।
तोड़ो मत इस देश को , रच न शाहीन बाग।
साथ चलो मिलकर वतन , लोकतंत्र अनुराग।।१२।।
मर्यादित सम्बन्ध हो , चाहे देश समाज।
निर्मल मन भारत चमन , रामराज्य आगाज़।।१३।।
मर्यादित हो लेखिनी , प्रेरक युवजन चित्त।
बनें आईना प्रगति का , प्रीति अमन आवृत्त।।१४।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली
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