स्वतंत्र रचना सं. २२५
दिनांक: २२.०२.२०२०
वार: शनिवार
विधा: कविता
शीर्षक: शिवशंकर मैं नमन करूं
हे कैलाशी असुर विनाशी बैद्यनाथ शिव मैं नमन करूं।
हे उमापति चैतन्य महाप्रभो नंदीश्वर मैं नमन करूं।
महाकाल विकराल परंतप शिव महादेव मैं नमन करूं।
अविनाशी त्रिपुरारी शंकर विश्वंभर शिव मैं नमन करूं।
शूलपाणि डमरूधर नटवर शिव रावणेश मैं नमन करूं।
भष्मराग तनु कण्ठहार अहि जय भोले मैं नमन करूं।
हे उमेश गिरिजेश त्रिलोचन बाघम्बर शिव को नमन करूं।
आनंद कंद परब्रह्म सनातन चतुर्वेद शिव नमन करूं।
कार्तिकेय स्कन्ध पिता प्रभु नागनाथ शिव नमन करूं।
पिनाकी मरघट के वासी काशी विश्वनाथ मैं नमन करूं।
ओंकारेश्वर जय नीलकण्ठ शिव हे सोमनाथ मैं नमन करूं।
पंचानन पशुपति परमेश्वर पावन रामेश्वर शिव नमन करूं।
हो प्रसीद दिगम्बर निर्मल शिव शंकर शंभू नमन करूं।
देव पूजित दानव से वन्दित ज्ञानेश्वर मैं नित नमन करूं।
हे त्रिदेव वाणासुर नाशक त्र्यम्बकेश प्रभु नमन करूं।
घुश्मेश्वर भीमेश्वर सादर जग प्रतिपालक मैं नमन करूं।
भष्मासुर वरदायक नाशक संन्यासी शिव मैं नमन करूं।
प्रलयंकर शंकर नटराजन वृषवाहन को मैं नमन करूं।
जय सतीश भुवनेश पुरातन अमरेश सदाशिव नमन करूं।
दूं भांग धतुर बम भोले बाबा दे विल्वपत्र शिव नमन करूं।
गुणागार गौरीश महातम अर्द्धनारीश्वर मैं नमन करूं।
गणाधीश गणपति जगदीश्वर चन्द्रमौलि मैं नमन करुं।
दुष्टदलन दानव खल नाशक रुद्राक्षमाल शिव नमन करूं।
हरो आपदा दो सुख वैभव जग अडरंधर मैं नमन करूं।
गंगाधर भागीरथ हरिहर भवानीश महारुद्र मैं नमन करूं।
जटाजूट हालाहल शम्भु अपर्णेश शिव नमन करूं।
विश्वम्भर कामेश्वर पूजन शैलश्वर शिव नित नमन करूं।
त्रिभुवनेश्वर हैं अरिमर्दक शिव उमारमण शत् नमन करूं।
शरणागतवत्सल देवेश्वर ओंकार शान्ति शिव नमन करूं।
खिले चमन भू सुखद मधुर समरस निकुंज मैं नमन करूं।
प्रीति रीति नटराज गुणेश्वर पालक शिवशंकर मैं नमन करूं।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक(स्वरचित) नई दिल्ली
Featured Post
दयानन्द त्रिपाठी निराला
पहले मन के रावण को मारो....... भले राम ने विजय है पायी, तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम रहे हैं पात्र सभी अब, लगे...
-
सुन आत्मा को ******************* आत्मा की आवाज । कोई सुनता नहीं । इसलिए ही तो , हम मानवता से बहुत दूर ...
-
मुक्तक- देश प्रेम! मात्रा- 30. देश- प्रेम रहता है जिसको, लालच कभी न करता है! सर्व-समाजहित स्वजनोंका, वही बिकास तो करता है! किन्त...
-
नाम - हर्षिता किनिया पिता - श्री पदम सिंह माता - श्रीमती किशोर कंवर गांव - मंडोला जिला - बारां ( राजस्थान ) मो. न.- 9461105351 मेरी कवित...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें