कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" रचना: मौलिक(स्वरचित) नयी दिल्ली

स्वतंत्र रचना सं. २६७
दिनांक: १४.०२.२०२०
वार: शुक्रवार
विधा: दोहा
छन्द: मात्रिक
शीर्षक: ,💋हठ करती प्रिय राधिका💌
लिये    हाथ    बांसुरिया , कृष्ण    चन्द्र  मुस्कान।
हठ   करती   प्रिय  राधिका , श्रवण  बांसुरी तान।।१।।
सुन   राधे    धीरज   धरो , खाऊं   मैं      नवनीत।
चलें   पुन:   मधुवाटिका , सुन   मुरली      संगीत।।२।।
मातु    यशोदा   हैं   खड़ी , हाथ   लिये   नवनीत।
हठ   मत  कर   राधे  प्रिये , देखो   ममता    प्रीत।।३।।
पिता   नंद   आशीष     लूं , गैया   करूं   प्रणाम।
ग्वाल   बाल   सब  साथ लूं , प्रिय राधे अभिराम।।४।।
दाऊ   खड़े  हैं   देखते , कुछ   तो  कर   संकोच।
उतावली   मत  बन  प्रिये , कुछ  मेरी  भी   सोच।।५।।
बड़ी    बावली   चंचला , तू   राधे    प्रिय   श्याम।
राग   न   कर   अनुराग  मन , मुरलीधर  तू  वाम।।६।।
सुन  लाला  मैं   तो  चली , छोड़  तुझे  निज  गेह।
चाल  तेरी   मैं  समझती , तू   नटखट   हूं     हेय।।७।।
लाख   बहाने   कर   रहे , है  तेरे   दिल  में  खोट।
रे   कान्हा   मुरली   बजा , करो  न  सजनी  चोट।।८।।
तू   प्रियतम   मैं   चन्द्रिका , तू    मुरली  मैं  तान।
यमुनाजी   के  तट  चलें ,  गाएं   मधुरिम    गान।।९।।
नंदलाल   गोपाल    सुन, श्याम   सलोने    मीत ।
दीवानी   मुरली   मधुर , तू   जीवन  मैं       प्रीत।।१०।।
बनी   रागिनी   फिर  रही , दामोदर  हिय  ध्यान।
कमलनैन   कान्हा  प्रियम , रखो   प्रीत  सम्मान।।११।।
ग्वाल  बाल  सह   गोपियां , उड़ा  रहे   उपहास।
लाल   हो   रही  लाज से , तनिक करो आभास।।१२।।
मनमोहन  चल  साथ  में , करें   मनोहर     रास।
लखि निकुंज जीवन सफल,राधा कृष्ण विलास।।१३।।
रुष्ट  हुई  लखि  राधिका  , मन हर्षित  घन श्याम।
सुन  राधे   मुरली   मधुर , प्राणप्रिये !   सुखधाम।।१४।।


कवि✍️ डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली


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