स्वतंत्र रचना
दिनांक: १६.०२.२०२०
वार: रविवार
विधा: कविता
शीर्षक: 🌹🙏दी श्रद्धांजलि मां भारती🙏🌹
साश्रु राष्ट्र है कृतज्ञ,
शहीद धीर वीर साहसी,
दी कुर्बानियां जो देश पर,
दी श्रद्धांजलि मां भारती।
फिर दंगाई उफन रहा ,
देश द्रोह कर रहा,
सीमान्त जांबाज वीर पे,
घृणित तोहमतें लगा रहा।
गद्दार है जो वतन
तान फन इन्द्रजाल,
पुलवामा शहीद पे
प्रश्न फिर उठा रहा।
तोड़ने तुला वतन,
झूठ लूट छल यतन,
वोटबैंक राजनीति,
आतंक साथ दे रहा।
भारतीय कुपूत जो
नापाक राग गा रहा,
मस्त पस्त पाक फिर,
गीदड़ भभकियां दे रहा।
लांघी मर्यादाएं सभी ,
देश धर्म सम्मान आन,
स्वार्थ सिद्धि संलिप्त नित
बदजुबां पाक साथ दहशती।
सिसक रही प्रजा यहां ,
शहीद जो वतन हुए ,
आन बान शान जो ,
उन्हीं पर वे हंस रहे।
विलख रही मां भारती ,
गद्दार निज कपूत पर,
कोसती है कोख को,
क्यूं जन्मा खल पातकी।
है शून्यता संवेदना ,
राष्ट्र विरुद्ध भावना ,
अमन चैन देश का,
लूट सैनिकों को कोसता।
तन मन धन जीवन वतन
जो जवान अर्पित किया,
पर,देशद्रोही दुश्मन वतन,
उस वीरता को कोसता।
नित विरोध देश का ,
कर रहे खल बेहया,
खा रहे जिस देश का,
उसे ही दे रहें हैं गालियां।
लानत नफ़रत हरकतें ,
वतन विरुद्ध साजीशें ,
नापाक साथ नित खड़े ,
नेता कुछेक स्वार्थ सेंकते।
जन्मा ,संवरा जीता वतन,
पर नहीं राष्ट्र सम्मान है,
देश द्रोह जलाता वतन,
खल मिला पाक शैतान है।
आशंका हर बात में ,
है दिया दोष सरकार,
हर शहीद सीमा वतन,
नित अपमान करे गद्दार।
पुलवामा के बलिदानियों ,
लिखा स्वर्णाक्षर में नाम,
ऋणी आपके जन वतन,
शत् श्रद्धा पुष्प प्रणाम।।
नत निकुंज कवितावली ,
देती साश्रु नैन सम्मान,
हे सपूत तुम अमर रहो,
युग युग रहो तिरंगा शान।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचना: मौलिक(स्वरचित)
नयी दिल्ली
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें