कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"  हरिद्वार से

दिनांकः ७२.०२.२०२०
वारः गुरुवार
विधाः दोहा
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः 🙋महाशक्ति बन प्रलय सम☝️
महाशक्ति बन प्रलय सम, कौन कहे कमजोर।
कहो  न  अबला  नारियाँ , निर्भयता    बेजोड़।।१।। 
पढ़ी  लिखी  मेधाविनी,चहुँदिशि करे विकास।
भर  उड़ान   छूती  गगन , अंतरिक्ष  रनिवास।।२।।
गहना बन  कुलधायिका ,ममता बन जगदम्ब।
बेटी  बन  लज्जा  पिता , भातृ प्रीत अवलम्ब।।३।।
प्रियतम का अहसास बन,वधू रूप कुल मान।
पतिव्रता   सीता    समा , बन     दुर्गा   संहार।।४।।
शील त्याग मधुभाषिणी , कुपिता बन अंगार।
याज्ञसेनि      वीराङ्गना , प्रिय वल्लभ  शृंगार।।५।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
नयी दिल्ली



दिनांकः २७.०२.२०२०
वारः गुरुवार
विधाः दोहा 
छन्दः मात्रिक
शीर्षकः🥀निशिचन्द्र✍️
पत्नी है अर्द्धांगिणी , सुख दुख   की सहभाग।
वधू    मातु   गृहलक्ष्मी , रणचण्डी  अति राग।।१।।
स्नेह शील तनु त्याग नित,अर्पण निज सम्मान। 
लज्जा   श्रद्धा    अंचला, कुलदात्री    वरदान।।२।।
दारा   भार्या   प्रियतमा , स्त्री  जीवन   संगीत। 
बन  यायावर     सारथी ,  मीत प्रीत  नवनीत।।३।।
निश्छल मन पावन हृदय,स्वाभिमान व्यक्तित्व।
प्रिया प्रसीदा  भाविनी , महाशक्ति    अस्तित्व।।४।। 
कवि निकुंज जीवन सफल,निशिचन्द्र अनुराग।
बनी सफल कविकामिनी , कीर्तिपुष्प रतिराग।।५।।
कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" 
हरिद्वार से 👉


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