कवि शमशेर सिंह जलंधरा "टेंपो" हांसी ,  जिला हिसार , हरियाणा

यादों में नहीं**


तुझे याद करते-करते , 
रात-रात भर जगना , 
हो गया है , 
मेरी आदत में शुमार सजना ,
कितना बदल गया है , 
किया तेरा करार , 
और कितना खो गया है , 
मेरा करार ।
खत्म होने का नाम नहीं लेता , 
तेरे आने का इंतजार , 
बातें बहुत करनी है , 
तुम्हें बतलाना है , 
सही हुई दूरियों की , 
तकलीफों को ।
बेचैनी भरे पल-पल का , 
मेरा यह संदेश , 
काश ! 
तुम तक पहुंचा देती , 
ये चलती हवाएं , 
मचलती घटाएं , 
और तुम लौट आते , 
यादों में नहीं , 
हकीकत में रूबरू , 
हल करने को , 
बढ़ी हुई सारी समस्याएं ।


रचित --- 24 - 05 - 2017


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