कवि शमशेर सिंह जलंधरा टेंपो हांसी ,  हिसार , हरियाणा ।

जो दूसरों के दर्द में शामिल नहीं होता ।
इंसान कहलाने के वो काबिल नहीं होता ।।


जितना चलोगे तुम , क्षितीज बढ़ता चलेगा ,
इस आसमां का तो कोई साहिल नहीं होता ,


मारे जो बेटी पेट में , ना सिसकियां आए ,
पत्थर है वो , सीने में उसके दिल नहीं होता ।


आजाद फिरता मैं भी तेरे साथ हंस लेता , 
साथी अगर मेरा खुदा कातिल नहीं होता ।


मालूम होती गर हकीकत लूटते
हो तुम ,
इस कारवे में मैं कभी शामिल नहीं होता ।


@9992318583@


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