गज़ल
दिल में पल-पल जो समाया जाए ।
फिर खुदा उसको बताया जाए ।।
बस चुका है दिल की धड़कन में जो ,
किस तरह से उसको भुलाया जाए ।
चैन आए साथ से गर तुझको ,
खूब अपनापन जताया जाए ।
जी वो तो है तैयार मरने को ,
खुद को भी तो आजमाया जाए ।
कारगर हो गर दुआ इस दिल की ,
क्यों नहीं फिर सर झुकाया जाए ।
शाम जैसे हो चली , पीने का ,
बस बहाना फिर बनाया जाए ।
कर चुके तोबा नहीं पिएंगे ,
कौन मुंह से कब उठाया जाए ।
*रचित* ---- 08 - 09 - 2009
मो. 09992318583
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