पहला पत्थर
प्यार की ,
दुनिया की नींव का ,
पहला पत्थर ,
तुम हो प्रिय ,
चैन नहीं आता ,
जब बेचैन नहीं होता हूं ,
तब भी ।
तुम्हारा दीदार ,
हो गया है करार ,
जाने कैसा जादू है ,
तुम्हारी सूरत में ।
मैं पागल ,
करता हूं आज भी चिनाई ,
मोहब्बत वाली इमारत की ,
तुम्हारी यादों से ।
रचित ---- 27 - 10 - 2017
Mo. 09992318583
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