वफादारी के सांचे में समाए हूं मैं ,
भार वादों का अभी तक तो उठाए हूं मैं ।
नींद तुझको अब नहीं आती सुना है मैंने ,
इसलिए कल रात से खुद को जगाए हूं मैं ।
सह सकूं हर एक गम तेरा , खुदा कर दे ऐसा ,
लोहे सा मजबूत इस दिल को बनाए हूं मैं ।
प्यार खातिर है लड़ाई हार जाऊं बेशक ,
ये कदम मैदान में साथी जमाए हूं मैं ।
मौत आ जाए अजी बेशक मुझे हंस-हंस कर ,
गम नहीं है ईद-दिवाली मनाए हूं मैं ,
लोग कहते हैं कि धोखा है , छलावा है तू ,
जिंदगी भर के लिए दिल को दिल को लगाए हूं मैं ।
जान कर तेरी हकीकत क्या करूं ? मुझको बता ,
"टेंपो" बेखुद बहुत खुद को बनाए हूं मैं ।
रचित --- 18 - 09 - 09
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