कवि सिद्धार्थ अर्जुन         छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय

राष्ट्र के प्रतिकूल यदि तेरा कोई भी काम होगा,
तू,तेरा परिवार,तेरा वंश भी बदनाम होगा......
माँग तू अधिकार अपने पर रहे यह ध्यान शाहीन,
राष्ट्र की गरिमा गिरी तो फिर बुरा अंजाम होगा....


नीर से ज़्यादा लहू है हिन्द की मिट्टी में यारों,
एकता ही एकता है भूत की चिट्ठी में यारों,
इस तरह टुकड़ों में बंटने से भला क्या काम होगा?
राष्ट्र की गरिमा गिरी तो फिर बुरा अंजाम होगा.....


देख ले बुनियाद इसकी,धर्म संगम है वहाँ,
अपने भारत देश जैसी संस्कृति भी है कहाँ?
धर्म-संस्कृति गर मिटी तो फिर नही आराम होगा,
राष्ट्र की गरिमा गिरी तो फिर बुरा अंजाम होगा....


ऐ हुक़ूमत ख़त्म कर दे साँप सब आस्तीन के,
हक़ हमारा है जहाँ तक ले लेंगे हम छीन के,
एकजुट संघर्ष का ही अब यहाँ कुछ दाम होगा,
राष्ट्र की गरिमा गिरी तो फिर बुरा अंजाम होगा...


               कवि सिद्धार्थ अर्जुन
        छात्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय
        (सर्वाधिकार सुरक्षित,मौलिक)


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...