कविता- कुहू- कुहू बोले रे कोयलिया...
कदम्ब की डाल पर डोलती कोयल।
पीऊ- पीऊ, कुहू- कुहू बोलती कोयल।।
सुख - दुख में शुभ गीत गाने वाली।
थके मादे लोगों को झुमाने वाली।।
इस डाल से उस डाल पर डोलती कोयल।
पीऊ- पीऊ, कुहू- कुहू बोलती कोयल।।
नीरस पल में भी रस पाने वाली।
ऋतुराज के संदेश को पहुंचाने वाली।।
रसाल फल देख चोंच खोलती कोयल।
पीऊ- पीऊ, कुहू- कुहू बोलती कोयल।।
पतझड़ की महफिल में लाती बहार।
'सावन' सरस भाव से भावनाओं का भार-
कंठ के तराजू पर तौलती कोयल।
पीऊ- पीऊ, कुहू- कुहू बोलती कोयल।।
पीपल की डाल पर डोलती कोयल है।
पीऊ- पीऊ, कुहू- कुहू बोलती कोयल।।
कवि सुनील चौरसिया 'सावन'
निवास- ग्राम- अमवा बाजार पोस्ट- रामकोला जिला कुशीनगर, उत्तर प्रदेश
प्रवक्ता,
केंद्रीय विद्यालय टेंगा वैली, अरूणाचल प्रदेश।
मोबाइल-9044974084, 8414015182
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें