किशनू झा "तूफान"

*पुलवामा हमले में शहीद हुये जवानों को विनम्र अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि...............* 


सिंहासन सैनिक के प्रति ,
जब संवेदनहीन हुआ ।
सूरज ,चंदा, तारे ,धरती ,
अम्बर भी गमगीन हुआ।
पुलवामा की धरती भी,
मन ही मन अश्क बहाती है।
कविता लिखती है कलम मेरी ,
मन ही मन रोती जाती है ।


 


जब मां के दिल का टुकडा़,
केवल टुकडे़ में आता है ।
किसी सुहागिन का सुहाग,
जब टुकडो़ं में बट जाता है ।
पुलवामा में पीडा़ जब ,
पीडा़ से अश्क बहाती है ।
कविता लिखती है कलम मेरी ,
मन ही मन रोती जाती है ।


 


 


शादी की तैयारी जब घर ,
के आंगन में होती है ।
कोई लड़की जब शादी के,
 मीठे स्वपन सजोती है।
और सुहागिन होने से पहले  ,
 विधवा हो जाती है।
कविता लिखती है कलम मेरी ,
मन ही मन रोती जाती है ।


 


चित्रेश बिना जब आंगन का,
चित्र उजड़ सा जाता है ।
किलकारी भरती बेटी को ,
पिता देख ना पाता है ।
श्रृंगार शोक से रोता है ,
हिन्दी भी अश्क बहाती है ।
कविता लिखती है कलम मेरी ,
मन ही मन रोती जाती है ।


 



                      रचयिता 
               किशनू झा "तूफान"
                 8370036068


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