किशनू झा तूफान 

बाधाओं से टकराकर के, 
जो आगे बड़ जाते हैं !
जीवन के हर उच्च शिखर पर, 
वो अक्सर चढ़ जाते हैं।


 



कष्टों को सहकर के जो, 
जीकर भी मर लेते हैं। 
बनकर दिनकर घोर तिमिर को, 
वो हरदम हर लेते हैं। 
पर्वत बनकर तूफानों के,
सम्मुख जो अड़ जाते हैं। 
जीवन के हर उच्च शिखर पर, 
वो अक्सर चढ़ जाते हैं ।


 


शूल बिछे हो राहों में पर, 
तुमको चलना होगा। 
तम को हरने की खातिर, 
दीपक बन जलना होगा ।
बन उजियारा अंधियारों से, 
जो अक्सर लड़ जाते हैं। 
जीवन के हर उच्च शिखर पर, 
वो अक्सर चढ़ जाते हैं।


 



कहे जमाना कुछ भी पर तुम, 
सच्चाई की बात करो। 
मंजिल की मुश्किल पर तुम भी, 
मेहनत से आघात करो।
लोग महनती बनकर तारे, 
अम्बर में जड़ जाते। 
जीवन के हर उच्च शिखर पर, 
वो अक्सर चढ़ जाते हैं।


 


                        रचयिता 
              किशनू झा तूफान 
               8370036068


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