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कुमार कारनिक
(छाल, रायगढ़, छग)
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मनहरण घनाक्षरी
नवभोर आई है
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डाली जब लहकी है,
चंदन सी महकी है,
चिड़ियाँ भी चहकी है,
नवभोर आई है।
🌞💐
शहर गली व गाँव,
सुख की बिखरे छाँव,
तरूणों के मन भाव,
छाई तरूणाई है।
🌷💐
बित गई निशी काली,
सूरज की फैली लाली,
नित सुख देने वाली,
चली पूरवाई है।
🌞🌹
पहला ये काम करो,
सबका प्रणाम करो,
लेख अविराम करूँ,
सभी को बधाई है।
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