मनहरण घनाक्षरी
(शिल्प-८,८,८,७=31वर्ण
युगल पद तुकांत अंत गुरू)
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*शिव महिमा*
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बम भोले शिव नाथ
डमरू त्रिशूल हाथ
मिलेगा शंभु का साथ
भोले जी भंडारी हैं।
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काल रूप महादेव
तुम देवों के हो देव
औघटदानी है बाबा
शिव त्रिपुरारी हैं।
🌻🌼
जग का पालनहार
पापी का करे संहार
भव का खेवनहार
तू प्रलयंकारी हैं।
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प्रभु सुन ले विनय
दूर होत है अनय
देवे सबको आशीष
जग हितकारी हैं।
*ओम् नमः शिवाय*
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