मनहरण घनाक्षरी
*सच/सत*
-------------
सच में कितने लोग,
उम्र भर किये भोग,
लग गया झूठा रोग,
फर्ज तो निभाईये।
0
सत बात बोल तुम,
मन आपा खोल तुम,
सच्चाई को पहचान,
धरम निभाईये।
0
कांटों मे चलना होगा,
हंस के टालना होगा,
परीक्षा लेती सच्चाई,
राह तो बनाईये।
0
कदम आगे बढ़ाना,
आप न डग - मगाना,
सच के खातिर तुम,
न लड़खड़ाईये।
*****
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें