मनहरण घनाक्षरी
गौ माता
यह हमारी गौ माता,
दूध दही घी मिलता,
सेवा से मुक्ति मिलता,
गाय भैंस पालिए।
चरें गाय कहाँ पर,
कब्जा हर जहाँ पर,
बंधे पशुओं के पैर,
चारागाह छोड़िए।
देव रूप पूजी जाती,
अमृत दूध दे जाती,
घर घर बाटी जाती,
शुद्ध दुग्ध पीजिए।
ग्वाल बाल बन कर,
गौ माता की सेवा कर,
बंधु चारा दान कर,
गाय गोद लीजिए।
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