गीत- सुनो सुहागन!
अभी बुलाती हैं हमको सरहद पर माई,
सुनो सुहागन आ जाऊंगा जल्दी ही मैं,
सुनो सुहागन!
शादी के जो पूर्व थे, हमने सपने देखे,
उन सपनों को सच करने जल्दी आऊँगा।
अश्रु न तुम अपने नयनो में भरो रूपसी,
माँ होती हैं चिंतित मैं जल्दी आऊँगा।
सुनो सुहागन रखना तुम खुद का ख़्याल भी,
वादा हैं कि आ जाऊंगा जल्दी ही मैं।
सुनो सुहागन!
जो बापू को पता नही,वो हिसाब सुनो तुम,
माँ से कह देना वो, बापू से करवा देंगी।
यदि तुम होना कभी भयभीत यहाँ पर,
माँ से कहना भय से तुमको लड़वा देंगी।
सुनो सुहागन तेरे हाथ पर लिखें नाम के,
वादा हैं मिटने से आऊँगा पहले ही मैं।
सुनो सुहागन!
लगता हैं फिर से माँ पर ओ घात हुई हैं,
अब हमको उस दुष्ट शत्रु से लड़ना होगा।
सुनो प्रिये तुम मेरे जाने पर रोना मत यूं,
वीर सुहागन हो तुमको अब लड़ना होगा।
सुनो सुहागन कहो कि क्या उपहार मैं लाऊ,
वादा हैं की युद्ध जीत आऊँगा जल्दी ही मैं।
सुनो सुहागन!
लगा महावर देख हमारे पैरों में वह,
सब मित्र हमारे हमको दिनभर छेड़ेंगे।
जब होकर उदास मैं बैठूंगा कही अकेला,
तो हमको भाभी-भाभी कह कर छेड़ेंगे।
सुनो सुहागन मेरे पैर में लगा महावर,
वादा हैं छुटने से आऊँगा पहले ही मैं।
सुनो सुहागन!
-कुमार नमन
लखीमपुर-खीरी
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