मेंहदी( मंदाक्रांता छंद)
222 2111112 212 2122
गोरे हाथों पर पिय लिखा, मेंहदीं से सजाई |
गोरी जोहे प्रियतम कि राहें ,अभी है जुदाई |
काहे को साजन भुल गये ,याद आती तिहारी |
राधा ढ़ूढे मधुबन गली, छूप जाओ बिहारी|
राधे राधे🙏🌹🌹
कुमुद श्रीवास्तव वर्मा कुमुदिनी लखनऊ
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