मधु शंखधर स्वतंत्र* *प्रयागराज

*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌷🌷🌷🌷🌷🌷
*जीत*
जीत सकोगे हार कर,तब जाओगे जान।
जीत हार का खेल ही,इस जीवन का मान।
दुर्योधन की हार को, समझो पहले आप,
अहंकार जब मन बसा, भूल गया संज्ञान।।


सैनिक सीमा पर कहे, जीत लिए हम काल।
सदा तिरंगा शान हो, माँ के सुंदर भाल।
हार नहीं स्वीकार है,चाहे जाए प्राण,
हम शहीद हो कर रहें,भारत माँ के लाल।


मनुज धरे जो कर्म को, चले सदा अविराम।
कर्म करो फल त्यागकर,ध्यान धरो निज नाम।
जीत सदा निश्चित बने, मानो *मधु* मत हार,
प्रतिद्वंद्वी से लड़ सदा, जीत लिया संग्राम।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*
🌹🌹 *सुप्रभातम्*🌹🌹


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