भीनी खुशबू उड़ती हुई फिज़ा को भर ली बांहों में
मदमस्त फिज़ा बहका- बहका सा रहता है
उपवन में झूमें कली कली
पवन प्यारे के बांहों में
ऋतुराज के आगमन पर मौसम भी बहका करता है
डाली डाली भंवरा गुंजे गूंजे कमल की बांहों में
इतराते फूलों को देखो कैसे मदमाता रहता है!
*लता प्रासर*
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