लता प्रासर पटना बिहार

*हवा की कनकनी मुबारक*


सहज सुभग सुंदर चितचोर नाचे वन मोर
अलसाई हवा डोले इत उत ढूंढे जीवन छोर
मौसम मगरुर रंग बदले उमंग बदले तरंग बदले
जब जब जोगन अंखियां निरखे चंहुओर
किलकत ढुलकत बादल घिरे आसमां घनघोर!
*लता प्रासर*


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