मधु शंखधर 'स्वतंत्र' प्रयागराज अवधी लोकगीत नवल गोरी ना मेलवा कै झूलवा झूलै चाहै गोरिया।

 


मधु शंखधर 'स्वतंत्र' प्रयागराज


अवधी लोकगीत नवल गोरी ना

मेलवा कै झूलवा झूलै चाहै गोरिया।
नवल गोरी ना.....
हो नवल गोरी ना.....।।2।।


सासु जब रोकै बोलै, कहाँ जाबू दुलहि।
बोल रही गोरिया, तू हऊ बड़ी बुढ़िया।
हमही करब ना....
रात दिन तोहार सेवावा..हमही करब ना...
हो नवल गोरी ना...........
मेलवा के झूलवा पै झूलै चाहै गोरिया...........।।


जेठनी बोलै बोलिया , काम कर गोतनी।
बोल रही गोरिया, तू हऊ बड़ी छलिया,
हमही करब ना....
सब काम तोहरे सथवा..हमही करब ना।
हो नवल गोरी ना.....................।
मेलवा के झूलवा पे झूलै चाहे गोरिया...................।।


ननदी कहै भाभी हो, हमहू चलब ना।
बोल रही गोरिया तू हऊ बड़ी चपला।
हमही करब ना........
तोहार ब्याह बड़े घर ना....हमही करब ना।
हो नवल गोरी ना........
मेलवा के झूलवा पै झूलै चाहे गोरिया...................।।


जात- जात मेलवा कहै लागे देवरा,हमहू साथे ना।
बोल रही गोरिया, तू हय सबसे लहुरा,
हमही भेजब ना..........
तोहै कॉलेज के डगरिया, हमही भेजब ना।।
हो नवल गोरी ना............
मेलवा के झूलवा पे झूलै चाहै गोरिया.....................।।


चल दिही गोरिया सजन साथे मेलवा,
हो झूल रही ना,
कह रही गोरिया, तू हय मोरे जियरा।
साथ झूलब ना.....हम साथ साथ झूलवा...सदैव झूलब ना।
हो नवल गोरी ना....।
मेलवा के झूलवा पे झूल रही झूलना ।
पिया संग ना....हो नवल गोरी ना।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र'*
*प्रयागराज*
*04.02.20*


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