मासूम मोडासवी

सुरखी  भरी नजरों का नशा ओर ही कुछ है
दाअवते सुखन देने की अदा ओर ही कुछ है


हमने  तो बहुत  चाहा तेरा हुकम हो सादर
खामोश  रहे  लबकी  सजा ओर ही कूछ है


हम सहमे  से बैठे रहे उमिदै  करम  करके
ओर उनके इरादों  की दफा ओर ही कुछ है


बजती  हुइ  पायल  की ये झंकार का जादु
कदमों के थीरकने की अदा ओर ही कुछ है
मोसम ने  बहारों  से सजी ओढी नइ चादर
नजरों को लुभाती ये जीया ओर ही कुछ है


तनहाइ में जीनेका सबब हम कैसे  बतायें
क्या जुरम हुवा? पाइ सजा ओर ही कुछ है


वाअदा  तो  था  मासूम सफर साथ चलेगा
बे रब्त मुसाफत का सीला ओर ही कूछ है


                            मासूम मोडासवी


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