हायकू
५+७+५
सुनो कान्हा,
मेरे अंतर्मन में,
रहते तुम।
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मनमोहन,
सांवली सूरतिया,
मन बसिया।
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मैं जाऊं वारी,
चितवन पे तोरी,
बंसी माधुरी।
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डाली कदंब,
किये चोरी वसन,
गोपीहरन।
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राधारमण,
रास रचाए कृष्णा,
मनभावन।
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श्यामाचरण,
कालिया मरदन,
मधुसूदन।
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कंस दमन,
गीता उपदेशक,
धर्मावतार।
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ममता कानुनगो इंदौर
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
ममता कानुनगो इंदौर
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