गीत
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कह देती हैं भीगी पलकें,
दिल की सारी पीर ।।
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जब से तुम इस घर में आई,
कभी न पाया चैन ।
दिन कटता है आहें भरते,
रोते कटती रैन ।।
देख रही मैं चेहरा तेरा,
बहुत अधिक गम्भीर ।
कह देती हैं भीगी पलकें ... ...
चमका करता था यह चेहरा,
आज नहीं है ओज ।
सब कुछ बता रहा है मुखड़ा,
क्या करनी है खोज ।।
देख - देख हालात तुम्हारे,
मैं हूँ बहुत अधीर ।
कह देती हैं भीगी पलकें ... ...
बात मान तू सखी सयानी,
तज दे ये घर द्वार ।
ये जीवन अनमोल बहुत है,
कर तू इससे प्यार ।।
बदल चुकी है चाल समय की,
बदलेगी तकदीर ।
कह देती है भीगी पलकें ... ...
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मुरारि पचलंगिया
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