शादियों का मौसम है, यहाँ जाइये या वहाँ जाइये।
सारी की सारी स्टाल्स खाइये या भर भर प्लेट खाइये।
सारा का सारा माल एक प्लेट मे ही गड़बड़ फैलाइये।
और जो ना खा सकें तो खुशबू ले ले कर कचरे पात्र में डालिये।
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तो शादी के समारोह के नाम पर अन्न का इतना अपमान।
अरे नहीं खा सकते हो तो किसी जरूरतमंद को ही खिला दो श्रीमान।
हम अगर इस मुद्दे पर भी सोचे तो बहुत कुछ कर सकते है।कुछ पहल करके इस अन्न का उपयोग भी कर सकते है।शायद भविष्य मे कुछ ऐसा नया हो इसी शुभकामनाओं के साथ।
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नमस्ते जयपुर से- डॉ निशा माथुर🙏😃👌
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