नमस्ते जयपुर से - डॉ निशा माथुर

फ़लक पे भोर की दुल्हन सज के आई है।।


आज दिन उगा है या सूरज के घर सगाई है।।


जैसे ओस की बूँद फूलो पे खिल आई है।।। 
 
फरवरी की दिलकश रूत ने  ली अंगङाई है।।


बासंती रंगों को ले फागुन रूत  महक आयी है।।
                                                                       बहकी बहकी पुरवा झूम के खुशीयां लायी है।।


देखो,मेरे सुप्रभात ने लबो पे मुस्कान सजाई है।। 


गुलाबी गंध गुलाबी गुलाब लिए प्रेम ऋतु भी आई है।
  ...................................
                            
   इसी शुभकामनाओं के साथ फुर्सत के लम्हों का शुभ शुभ वंदन।।।...                                                              आप सबका दिन  फूलों सा खिलता हुआ महकमय और मंगलमय हो।.🌼🌼🌻🌻🌞🌞😊😊🙏🏻🙏🏻💐💐
नमस्ते जयपुर से - डॉ निशा माथुर🙏😃


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