नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर      गोरखपुर उत्तर प्रदेश-----

भोला  शंकर औघड़दानी ब्रह्माण्ड का पालन कर्ता ।।                 


जीव जीवन आत्मा का परमात्मा ।।      
                                       कराल विकराल महाकाल शिवा सत्य सत्यार्थ।।                      


तन में भस्म लगाये पहने मृगछाला।।                        


मुकुट भाल का चाँद जटाओ से बहती पतित पावनि गंगा की निर्मल निर्झर अविरल धरा।।     


कर सोहे डमरू त्रिशूल गले में नाग की माला।।                   


भांग धतूर ही भावे जगत कल्याण को विष पान कर नीलकंठ कहलाये।।                         


 पर्वत पर रहते महल अटारी ना भावे पत्ता कन्द मूल भाव से जो मिल जाए भाये भक्तन को छप्पन भोग पकवान खिलावे।।          


सती सत्य का सत्कार               हिम हिमालय की बाला पार्वती अंकिकार।।
रूद्र रौद्र  घोर घनघोर सत्य का साक्ष्य सत्य अनंत निराकार निर्विकार ।।                         


आग अंगार नीर छीर समीर अवनि आकाश तत्व तथ्य मूल सम्पूर्ण।।                              


ग्रह नक्षत्र काल की चाल भुत प्रेत पिचास नंदी भैरों गण ऋतुएँ मौसम की काल चाल मुंकार ।।


ब्रह्माण्ड का न्यासी सन्यासी स्वायम्भू शाश्वत शम्भू ओंकार।।


दीन् दुखियों के दाता आनाथन के नाथ शिव साक्षात्               करालम महाकाल  ।।               


करालं कृपालं त्रिनेत्र धारी महापालक महापरलय प्रधान।।             


तांडव रौद्र रूप शंकर मोक्ष मार्ग ।श्मशान के देवता आदि मध्य अवसान देवोँ के देव महादेव की महिमा अपरम्पार।।


अशुभ अन्धकार मुंड माल तपसी मनीषी सतोगुणी रजोगुणी का निश्चय निर्वाण।।                                              


सर्व व्यापी सर्वेश्वर वेद् पुराण    शुभ मंगल गजानन षडानन के जन्मदाता विघ्न विनाशक मंगलकर्ता।।                        


ज्ञान वैराग्य के ईश नामामिशम गिरीश।।                              


जय जय शिव शंकर बम बम भोले हर हर महादेव।।           


आई शिव रात्रि आई वसंत की वहार शिव पार्वती की बरात लाई।।                                



दूल्हा शिव दुल्हिन पार्वती का मिलन स्वर्ग में अप्सरा नाचे देव दुन्दभि बाजे हिमालय द्वारे बाजे शहनाई।।                             


 


शिव रात्रि आई ब्रह्माण्ड में बधाई सखिया सहेलिया करत अठखेलिया वर बौराहवा पावा ।।


मैना हुई अचेत वर देख ब्रह्मा विष्णु ने मैना को समझावा त्रिपुरारी भुवंस्वामी वर वरण सौभाग्य त्याग तपश्या से पार्वती ने पावा।।                             



सृष्टि का निर्माता भाग्य विधाता का दर्शन पावन युग युग जन्म जन्म जप तप सद्कर्म कर फल ।।                                       


सोई शिव शंकर चंद्र्शेखर जामाता तुमरे द्वारे आवा।।सुन मैना नस्वर संसार में देव दानव का प्यारा अर्धनारीश्वर दामाद तुम्हारा।।                           



पार्वती जगत जननी जगत कल्याणी माता।।                   


शुभ शिव रात्रि


नन्दलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर      गोरखपुर उत्तर प्रदेश-----


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