नवल सुधांशु

पुलवामा में शहीद अपने घर बेटों को नवल सुधांशु का प्रणाम.



गोद  माँ की, घर  तुम्हारा  पथ निहारे


लोरियों  का  स्वर तुम्हारा पथ निहारे


लौटकर  आये  नहीं  तुम  गांव अपने


ॐ  का   पत्थर  तुम्हारा  पथ निहारे।



तितलियां  पाँखें  तुम्हारा  पथ  निहारें


पेड़  की  शाखें   तुम्हारा  पथ  निहारें


नींव घर की अब तलक खाली पड़ी है


बाप  की  आंखें  तुम्हारा  पथ  निहारें



पीर  बरसाती   तुम्हारा  पथ   निहारे


देह  की  पाती  तुम्हारा  पथ   निहारे


लौटकर आये  नही  तुम  गांव अपने


अधजली बाती  तुम्हारा  पथ  निहारे



द्वार की  चौखट  तुम्हारा  पथ निहारे


लाज का घूंघट  तुम्हारा  पथ  निहारे


लौटकर आये नहीं   तुम  गांव अपने


पास का पनघट तुम्हारा  पथ निहारे।



मन महावर तन  तुम्हारा  पथ  निहारे


किलकता आंगन तुम्हारा  पथ निहारे


लौट कर आये  नही  तुम  गांव अपने


प्यार का सावन  तुम्हारा पथ  निहारे।



वेद  की  पाटी  तुम्हारा  पथ निहारे


गुरु  की   साटी  तुम्हारा पथ निहारे


देश की माटी गले अब लग चुकी है


जन्म की माटी  तुम्हारा पथ निहारे।


                            -नवल सुधांशु


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