नेता जी मच पर बैठे नेता जी

नेता जी


मच पर बैठे नेता जी
सुनकर मेरी कविता
खूब मुस्कुरायें, 
खिलखिलायें.
तालियाँ बजायें,
फिर बुलाकर मुझे मंच पर 
थपथपायें मेरी पीठ,
थमाकर सौ रुपये का नोट 
बढ़ाये मेरा हौसला।
फिर धीरे से बोले :
"ये लो मेरा कार्ड
पड़े जब जरुरत
नि:संकोच करना मुझे याद
मैं जरुर आउँगा आपके काम।"


मैं हो गया गदगद
सुनकर नेताजी की बात
सोचा -
जरुर करुँगा 
नेताजी से मुलाकात।


एक दिन 
समय निकालकर
मैं नेताजी के घर आया, 
उन्हें एक अर्जी-पत्र थमाया, 
पत्र विना पढ़े 
नेताजी ने किया सवाल- 
"आपके घर कितने सदस्य हैं जनाब? 
इलेक्शन में
हमें कितने वोट दिलवा सकते हैं आप? 
अपने परिवार से
हित, नात, परिचित, रिश्तेदार से।"
 मैंने कहा रखके सीने पे हाथ -
 "सिर्फ एक ..."


नेताजी अर्जी-पत्र दिए फेक ।


-दीपक शर्मा 
जौनपुर उ. प्र.


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