निधि मद्धेशिया कानपुर उत्तर प्रदेश

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काश...


काश इसी भरम में 
उम्र गुजर जाए...
तुम मुझे चाहते हो, 
हो मेरी पसंद
तुम मुझे माँगते हो।
काश....
इकरार न इजहार करना 
वो व्यवहार न होगा 
दिल दुख जाए।
काश....
ताके रहना जीवन को
झीनी-सी दूरी रखना बनाए।
काश.....
पास आएँ हम, मिलन 
क्षितिज न हो जाए।
काश......
महसूस करते हैं पसंद 
हैं इसलिए दूरियाँ 
दूरियों का आभाष रह जाए।
काश......
प्रेम है बस इतना
तुम खुश रहो हमेशा 
सदा होंठ तुम्हारे मुस्कुराए।
काश.......
पसंद मेरी तुम, मुझे माँगते हो
नगर में मेरे मित्र हैं इस मेले
में अकेला तू भाए।
काश .......
मैंने जन्म पाया किसी के लिए
किसी के लिए तुम जन्में,
सोंचते हैं दोनों ,
अच्छा हो एक हो पाए।
काश........
पसंद मेरी तुम हो 
तुम मुझे माँगते हो,
काश....



निधि मद्धेशिया
कानपुर
उत्तर प्रदेश


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