निशा"अतुल्य"

सायली छंद
1,2,3,2,1
15 /2 /2020


नजर
उठा कर
देखना यूँ तेरा
कर गया
उदास


पूछा
जब उससे
हंसा खिलखिला कर
छुपा उदासी
मुझसे


बिछड़ने
का दर्द
होता है सबको
वो समझा
नही


उदास
मैं भी
पर दिखलाया नही
उसे कभी
मैंने।


उम्मीद
पर टिकी
हसरतों की दुनिया
समझाऊं कैसे 
उसे।


रहो
खुश सदा
मिलना बिछड़ना है
रंग जीवन
के ।


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


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