निशा"अतुल्य"

निशा"अतुल्य"
देहरादून


गीत
18/ 2/ 2020



आओ कान्हा होली खेलें तुमको रंग लगाऊँगी
आ गई सखियों की टोली कैसे तुम्हे बचाऊंगी ।


आओ कान्हा खेले होली


भर पिचकारी तुमने मारी
तुम कैसे बच पाओगे
रंग सांवरे मैं भी रंगूँगी 
तुमसे प्रीत निभाऊंगी


आओ कान्हा खेले होली


भीगी साड़ी भीगी चोली
तुझको अंग लगाऊँगी
थिरक रही है पग में पायल
तुम को नाच दिखाऊँगी।


आओ कान्हा खेले होली


थरथर थरथर कांप रहीं हूँ
आकर अंग लगा लो तुम
मैं बन जाऊं मुरली तेरी
मुझको अधर लगालो तुम ।


आओ कान्हा खेले होली 


प्रीत मेरी है निपट बावरी
तुझ बिन कुछ न दिखता है
आओ कान्हा कदम्ब के नीचे
सुरताल वहीं बस मिलता है ।


आओ कान्हा खेले होली तुमको रंग लगाऊंगी


स्वरचित
निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...