निशा"अतुल्य"

निशा"अतुल्य"
देहरादून


 आर्य
25/ 2/ 2020


आर्य को आदर्श जान
सद्भावना चले मान
छुआ छात जाने नही
सब को बताइये ।


ब्रह्म होता निराकार 
गायत्री मंत्र साकार
प्राण वायु शुद्ध करो
हवन कराइये।


आहुति सामग्री साथ
धृत तिल मीठा साथ
सब एक साथ डाल 
वायु शुद्ध पाइये।


परहित सदाचार
आर्यजन की पुकार
मिटा कर भेदभाव
गले लग जाइये ।


स्वरचित 
निशा"अतुल्य"


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...