कान्हा
सुन मुरली की धुन नाच रही गोपियाँ
राधा रानी बावरी है सब हुए बलहारी ।
नाच रहे सब सँग वृंदावन बिहारी
गली गली धूम मची मेरे हैं बस मुरारी।
हर गोपी साथ दिखे रास सँग राधा रानी
मुरली की सुन तान मंत्र मुग्ध नर नारी।
सबको ही साथ दिखे नित नए भेष धरे
कृष्ण सँग राधा रानी मन सम्मोहित करे
जब छेड़े कान्हा तान मुरली की जो है जान
कान्हा कान्हा रटते निकल न जाये प्रान।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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