निशा"अतुल्य"
देहरादून
जाने दो ना
दिनाँक 4 /2 /2020
बीती कैसे पिछली रातें, जाने दो ना
आओ बैठें करेंगे बाते,जाने दो ना
कुछ मैं बोलूं कुछ तुम कहना
बीत जाएंगी गम की रातें,जाने दो ना।
साथ चले तो सरल हो राहें
हाथ पकड़ लो, जाने दो ना ।
गम तो हर सू फैला ही है
बात करें क्या उसकी बोलो,जाने दो ना।
मिलें हमें जो दो पल फ़ुर्सत के
क्यों खो दें हम उनको बोलो,जाने दो ना ।
हम तुम दोनों आज मिलें है सदियां बीती
करेंगे मिलकर ढ़ेर सी बातें,जाने दो ना
बीती बातें आज बिसारे गले मिलें हम
ना छोड़े हम साथ ये अपना जाने दो ना।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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